Monday, April 19, 2010

उसमें, कुछ तो बात होगी


वो मुझे यूँ याद आती है,
उसमें, कुछ तो बात होगी |
कभी सोचा ना था,
किसी पे ज़िन्दगी यूँ फ़िदा होगी |

चाहे इनकार, इकरार का माहौल नहीं,
पर उसमें, कुछ तो बात होगी |
बिन कहे मेरे दर्द समझता है वो,
क्या हाल-ऐ-दिल है मेरा, वो खूब जानती होगी |

तारीफ़ उसको अपनी पसंद नहीं,
उसमें, कुछ तो बात होगी |
हर किसी की ख़ुशी में खुश वो,
उसके किरदार की कोई कहानी तो होगी |

उस पर मेरी जान यूँ निसार,
उसमें, कुछ तो बात होगी |
मांगी है दुआ उसके लिए हर पल,
दुआ मेरी ये ज़रूर कबूल होगी |

इस क़दर प्यार है उससे,
उसमें, कुछ तो बात होगी |
ले लूं तेरे सारे आंसूं मेरी पलकों में,
ऐ खुदा, इल्तजा-ऐ-नूर, कब मुकम्मल होगी |

3 comments :

Sandesh Dixit said...

वो मुझे यूँ याद जो आती है
उसमें कही कोई बात तो होगी
सोचा न था उस काफ़िर पर कभी
मेरी जिंदगी यूँ फ़िदा भी होगी .....

line उसमें, कुछ तो बात होगी ...i dont think its require here !!! n if u wanna have this den u hav to make it in rhyme wid 4th line ...


jaise

क्यों जगता हूँ रात भर यूँ ही
तेरी यादो में कुछ बात तो होगी
इंतज़ार, सोने का तेरे दामन में मुझको
कभी बदलेगा वक़्त,कभी वो रात तो होगी

kuch jagah koi meaning samajh nahi aaye ....!!!

Neways good style .......keep writing :P

I m here as a quality engineer ...

Unknown said...

जरुर उनमे कुछ तो बात होगी.... एसे ही कोई शयर नही बनता

Unknown said...

very nice...!

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