Saturday, December 25, 2010

देना ही है अगर

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मेरे सामने हमेशा रास्ता-ऐ-उल्फत रहा
शूल काँटें मेरी आहें अब और ना सता

गर जिल्लत ही देनी है मौला तो दे दे
रहम कर इज्जत के अलफ़ाज़ ना सुना

मौत ही बक्शी है जो तूने दर्दनाक तो
बहारे जिंदगी की झूठी राहें ना दिखा

Monday, December 13, 2010

तेरा मेरा कल, तेरा मेरा आज

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तुझसे अलग मैं, मुझसे तू थोड़ा दूर ज़रा था
खता ना तेरी ना मेरी, वक्त ही अलग सा था

था इश्क तेरे दिल में, और मेरे दिल में भी,
छाया था जो हम पर वो अब्र बदगुमानी का था

कड़कती बिजलियाँ, कहीं थी तेज आंधियाँ,
तेजाबी बारिश में कहीं कहीं दिल भी जला था