Friday, May 28, 2010

उसकी तनहा रात, क्या यूँ ही चलेगी

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कब तक अशआर* की ये कहानी चलेगी,
कब तक यूँ पलकों में वो आंसूं रोकती रहेगी,
उसकी तनहा रात, क्या यूँ ही चलेगी ?

उसके सीने में गम, कब तक पलेगें यूँ ही,
रोती होगी खुद में, जग को हंसाती रहेगी |
उसकी तनहा रात, क्या यूँ ही चलेगी ?

Sunday, May 23, 2010

जब वो ठंडी हवा का झोंका आया

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कल शाम मैं जब उठा था रो कर,
बोझिल अपने ख्यालों से थका हार कर,
अचानक ज़ेहन में तेरा हंसीं चेहरा आया |
जब वो ठंडी हवा का झोंका आया |

ले गया वो अपने साथ मुझे,
और फिर तेरी यादों से मिलवाया |
मेरे चेहरे पे रौनक लौटा लाया,
जब वो ठंडी हवा का झोंका आया |

Saturday, May 22, 2010

रास्ते और मिल जायेगें

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वो कहते हैं हमसे कि, क्यों दीवाने हो,
राहें ज़िन्दगी की और चलो, लोग और मिल जायेगें |

माना यूँ तो मिलेगें लोग जिंदगी में और बहुत ,
पर कैसे कहें आप जैसे हमें यूँ कहाँ से मिल जायेगें |

गर जाना होगा तुमको, आंसूं कैसे रोकेगें रास्ता,
मुस्कुराहटों से तुझे वापस आने के बहाने मिल जायेगें |

Monday, May 17, 2010

तुझमें खुदा पाया

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लोग अब पूछते हैं उससे, तूने मोहब्बत में क्या पाया,
इश्क है ये, नहीं सौदेबाज़ी, मत पूछ क्या पाया |

याद नहीं पड़ता मुझे, कभी वो जिया अपने ख़ातिर,
जीते हुए दूसरों के लिए, उस शक्स ने कभी क्या पाया |

खुदा जाने, क्यों अश्क निकल पड़ते हैं मेरी आँखों से,
नहीं दर्द मिले, हुआ ये जब उसका ख्याल क्या आया |

Friday, May 14, 2010

मोहब्बत कम लगे

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यूँ तुझसे मेरा दिल अब जुड़ा जुड़ा सा लगे,
तेरे ख्वाब के आगे जहाँ का हर ख्वाब छोटा लगे |

डरता था हमेशा इश्क करने से, कतराता था मैं,
जिंदगी के इस मोड़ पर, तुझसे इश्क होता लगे |

पल में जाने आलम कैसे बदल गया सारा,
देखो अब इस फिज़ा में भी प्यार घुलता लगे |

Tuesday, May 11, 2010

इश्क हुआ लगता है

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तू है मेरा तो, ये जहाँ अपना लगता है |
कहते अशआर, तेरा साया पास लगता है | [अशआर = शेर का बहुवचन]

देखता हूँ जब बादलों में छिपे चाँद को,
वो घूंघट में छिपा तेरा मुखड़ा लगता है |

देखा है मैंने जब भी तुमको हमदम,
तू हमेशा मेरे दिल का टुकड़ा लगता है |

Sunday, May 9, 2010

अब जाने कहाँ !

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Its Mothers day today. And  its Mom. I am missing a lot. Being so much away from my family. On this day I am missing every one.  I always thought that why we are celebrating these days. Whats there to celebrate. But believe, it is worth celebrating, and 'em how much love we do. I am so much away from my family and I am missing that a lot. While writing this I was in public park. could not stop myself being emotional. Its true that my eyes were filled with tears, but nothing rolled off from my eye : my latest practice :)  Thanks to you ;)    
I miss all my family. I love them, with all of my heart.

_____ अब जाने कहाँ !______

चाहे कद बहुत ऊँचे हो गए हों हमारे,
पर बाबा, तुम्हारे कन्धों की ऊँचाई अब जाने कहाँ |

चाहे एसी कूलर  के झोंकों में रहते हों,
पर माँ, तेरे आँचल की शीतलता अब जाने कहाँ |

Saturday, May 8, 2010

आज कुछ अलग लिखते हैं

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आज कुछ अलग लिखते हैं,
छूटे देश और घर के बारे में लिखते हैं |

थोड़ा पानी हुए विवाद पर,
या फिर पानी जैसे बहे खून पर लिखते हैं |

अज़ीज़ खून के रिश्तों पर,
और जान से प्यारे दोस्तों पर लिखते हैं |

Saturday, May 1, 2010

अब उन्हें भी पता लगा

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जिंदगी ये साज़ सी सजने लगी,
सांसें ये सरगम सी बनने लगी |
लो, अब उन्हें भी पता लगा,
हमें उनसे मोहब्बत होने लगी |

पहली दफ़ा घर से उनके कूचे की,
ये सारी दूरियां कम लगने लगी |
लो, अब उन्हें भी पता लगा,
हमें उनसे मोहब्बत होने लगी |