Saturday, May 8, 2010

आज कुछ अलग लिखते हैं

आज कुछ अलग लिखते हैं,
छूटे देश और घर के बारे में लिखते हैं |

थोड़ा पानी हुए विवाद पर,
या फिर पानी जैसे बहे खून पर लिखते हैं |

अज़ीज़ खून के रिश्तों पर,
और जान से प्यारे दोस्तों पर लिखते हैं |

दिल और उसके हालात पर,
या फिर ज़ज्बातों और अरमानों पर लिखते हैं |

लिखें क्या दिल से खेलने वालों पर,
सब कुछ दिल में रहने वालों पर लिखते है |

सतत जीवन की खुशियों पर,
छिन्न भिन्न मन की बेबसी पर लिखते हैं |

उसको किये गए इकरार पर,
और उसकी ख़ामोशी के अंदाज़ पर लिखते है |

हमारी उस हंसी मुलाक़ात पर,
जिंदगी के सबसे खूबसूरत मंज़र पर लिखते हैं |

नूर के अंदाज़-ऐ-इश्क पर,
या उस दिलो-जाँ की नज़ाकत पर लिखते हैं |

तोड़ते हैं जंजीरें, करते हैं आज़ाद ख़याल,
चलते हुए नयी डगर, आज कुछ नया लिखते हैं |

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