Tuesday, January 25, 2011

हमने सिर्फ गणतंत्र मनाया

0 comments


हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, सबको इसने अपने में समाया
मैंने सोचा कि सोचें इतने सालों में हमने क्या खोया पाया
कुछ भूख से रोते बिलखते बच्चों को भूखे पेट सोता पाया
शहीद जवानों के मौत के सदमे से माँ को पत्थर हुआ पाया

Sunday, January 23, 2011

कभी यूँ हुआ भी होता

0 comments















कभी मै के नशे का खुमार उतरा भी होता
लाख कोशिश की पर मैं उसको भूला भी होता

दूर रह कर जिस्म में साँसें ले रहा उसका प्यार
मैंने कभी उसको यादों से अलग किया भी होता

जिस पर निसार किया मैंने ये दिलो जाँ,
कभी तो उसकी जुबां से इकरार सुना भी होता

Sunday, January 2, 2011

यूँ मेरा दिल करे

0 comments










अब गैर सी हर पनाहों से गुजर जाने को दिल करे,
मैं हमराही नहीं, राहों से दूर निकल जाने को दिल करे

किसी के सहारे की ना आस ना आरजू है कोई ,
आसरे की हर ज़रुरत से अलग हो जाने को दिल करे

ख़ाक हो चुके गुलशने इश्क उस मगरूर खिज़ा में,
क्या ऐतबार, बहारों भी से परे चले जाने को दिल करे