Friday, April 9, 2010

तुमसे है गुज़ारिश


सिलसिला ये चाहतों का ना सही,
चाहे ये तेरी मेरी तकरार का ही हो |

हम दोनों के बीच प्यार की बातें ना सही,
दोस्ती का एक नाम, एक निशान तो हो |

कौन कहता है की निभती है, मोहब्बत पास रहने से,
हमने तो सीखा, कैसे भी बस प्यार निभाते रहो |

एक कहे, दूजा सुने, हमेशा ये ठीक नहीं,
कभी तो खामोशी बोले, और हम खामोश हों |

तुम तो ऐसे अच्छे लगे इस दिल को,
अब चाहे तुम पास या फिर दूर रहो |

हमसे ना किया तुमने इज़हार, कोई बात नहीं,
किसी खुशनसीब से करके प्यार, इज़हार तो करो |

हमे नहीं तुमसे कोई शिक़वा या शिकायत,
तुमने ही तो कहा था बस चलते रहो |

अब जब हमने चुनी है राह तुम्हारी वाली,
क्यों कहा कि राह नहीं है सही, इससे दूर रहो |

हमने तो बस प्यार किया तुमसे, देगें साथ तुम्हारा,
मंजिल जो भी हो,चलेगें वो ही राह,जिस राह तुम चलो |

बस इतना कहना है, गम ना करना किसी बात का,
हमने तो हमेशा चाहा की बस तुम हँसती रहो |

2 comments :

Sandesh Dixit said...

कभी तो खामोशी बोले, और हम खामोश हों |

gr8 lines !!!

kafiya ????

Shikha said...

कभी तो खामोशी बोले, और हम खामोश हों |

this is really gud

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