Monday, April 19, 2010

निभाओ तो मोहब्बत है


पल पल बीतते वक्त के साथ,
चल रहे राह-ऐ-जिस्त पर हम साथ साथ,

जीने के बहाने बन गए हैं आप,
माना कुछ वक्त ही हुआ है हमें साथ |

कहते हैं वो हमसे कोई नहीं मरता किसी के लिए,
सिर्फ साँसे लेता है, जीता जाने मरता है यादों के साथ |

वो करता है किसी का इन्तेज़ार, हमें पता है वो हम नहीं,
फिर भी हैं साँसे रोक कर तुम्हारे साथ |

चाहे हैं दूर या हैं पास, कौन जाने किस वक्त तक,
वक्त भी आएगा जब आपको मिलेगा उसका साथ |

दुआ है ये खुदा से वो दिन जल्दी आये,
मिल जाए आपके सूने हाथ को उसके हाथ का साथ |

क्यूँ आपको है इतनी चिंता, क्यूँ है फिकर,
आपकी यादों ने कब छोड़ा हमारा साथ |

क्यूँ अब गम करती हो पगली, क्यूँ हो उदास,
नहीं है अच्छी उदासी, ना हो कभी वो आपके साथ |

लंबा इन्तेज़ार, और लो हिज्र खत्म हुआ,
जिसको जिसका होना था, उसे मिला उसका साथ |

फकत 'नूर', तू भी कहाँ नाकाम हुआ,
निभाना ही मोहब्बत थी, और तूने निभाया साथ |

0 comments :

Post a Comment