Wednesday, April 7, 2010

मैं कहूँ, कभी तो वो सुने

 कभी तो वो मुझे भी सुने,
जब कहूँ उससे कुछ, कभी तो वो हँसे |

यूँ अलग थलग सी जी रहे हैं जिंदगी,
साथ दें एक दूसरे का,कभी तो हम मिल कर जियें |

टुकड़े टुकड़े बहुत हुआ दोनों का दिल,
उन टुकडों को जोड़ कर, कभी तो दिल की बात करें |

चल रहे हैं जिंदगी की डगर,
तनहा तनहा है दोनों, कभी तो साथ मिल कर चलें |

मेरी खामोशी ही बोलती रही हमेशा,
कभी तो लफ्ज़ मेरे, मेरे दिल का हाल बयान करें |

मुझे तेरी, तुझे उसको आरज़ू बहुत है,
आरज़ू से निकलें, कभी तो खुद की सुना करें |

हंसी जो सजी है होठों पे, ऐ 'नूर',
वो झूठी है, कभी तो आँसूं निकले और ये बयाँ करें |

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