Sunday, March 21, 2010

अब प्यार है तो है


वो नहीं मेरा, मगर उससे मोहब्बत है, तो है,
ये अगर रस्मों रिवाजों से बगावत है, तो है |

सच को मैंने सच कहा,जब कह दिया तो कह दिया,
अब ज़माने की नज़र में ये हिमाकत है, तो है |

दोस्त बनकर दुश्मनों सा,वो सताता है मुझे,
फिर भी उस जालिम पे मरना अपनी फितरत है, तो है |

कब कहा मैंने कि वो मिल जायें मुझे,
उसकी बाहों में दम निकले, पर इतनी हसरत है, तो है |

वो साथ है तो जिंदा हूँ,
मेरी सांसों को उसकी ज़रूरत है,तो है !

पलकें बिछाए बैठा हूँ राहों में,
दिल को उसके आने का यकीं है, तो है !

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3 comments :

Anonymous said...

perfect writing except last misra...ummid is not fitting in it :P

Akki said...

What should be best fitting word over there then ?
Kindly suggest !!!

Unknown said...

wah wah... mazza aa gaya :)

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