Thursday, March 25, 2010

यूँ किसको मोहब्बत करते हो

खुदा मान उसको यूँ सजदा करते हो,
सूनी ज़िन्दगी में किसे ढूँढा करते हो |

बस यादों के साए हैं जहाँ,
तुम उनमें घूमा करते हो |

कोई राज़ नहीं छुपा है इन आँखों में,
तुम उनमें क्या देखा करते हो |

न ख्याल, ना आरज़ू है कोई इस दिल में,
तुम इस दिल में क्या टटोला करते हो |

कोई सदा नहीं, कोई आवाज़ नहीं उसकी,
तुम किस की आहटें सुना करते हो |

कोई खुश्बू नहीं फैली फ़िज़ा में,
साँसों को क्यूँ महक सा महसूस करते हो |

छू कर गयी होगी आवारा हवा,
उसने छुआ, क्यों ऐसा सोचा करते हो |

नहीं हैं अब इन आँखों में आँसू,
तुम ये क्या पोंछा करते हो |

जा चुका है वो ज़िंदगी से बहुत पहले,
तुम यूँ ही राहें ताका करते हो |

ना आएगा वो हमसफ़र अब कभी वापस,
तुम जिसकी रहगुजर पर चला करते हो |

खुश है वो, रहता है सुकून से कहीं और 'नूर',
यही मोहब्बत है,तुम इस पे ज़िन्दगी गुजारा करते हो ?

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