Tuesday, March 16, 2010

ये खामोशी और दूरियां




ना रहो चुप तुम, यूँ ही चुप रहना अपनों का, कहर होता है,
दुश्मनों की साज़िश और दोस्तों की चुप्पी में ज़हर होता है |

साथ नहीं हो तुम तो क्या 'नूर', तुम्हारा नज़ारा तो नज़र होता है |
सदायें नहीं आती कानों तक, पर उनकी दुआओं में वो ही असर होता है |

कब चाहा के मिल जाओ मुझे, हर पल तेरी ख़ुशी का इंतज़ार होता है |
कोई नाम ना दो, कौन हैं हम तुम्हारे ये बताना ज़रूरी थोड़े ना होता है |

कौन कहता है के दूर हो, ख्यालों में अक्सर आना जाना होता है |
सिर्फ पास रह कर नहीं निभते, दूर रह कर भी रिश्ता निभाना होता है |


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