Sunday, March 7, 2010

कोई गुजारिश नहीं


की मोहब्बत मैने उसको दिल से,
मानता मैं, उसको ज़िंदगानी हूँ |

दर्द उसके महसूस होते हैं अपने से,
इसलिए हर पल उसको याद करता हूँ |

आज तक हटा नहीं पाया यादों से,
दिल से जुदा नहीं कर पाया हूँ |

गलत है यूँ समझाना सायों के जैसे,
माना के तेरे हर फैसले में साथ हूँ |

दर्द हैं मेरे भी कुछ तेरे जैसे,
ना फरिश्ता समझ, इंसान तुझे जैसा ही हूँ |

इतना प्यार नहीं मुझे मेरे प्यार से ,
जितना प्यार मैं तेरी खुशी से करता हूँ |

तुम जैसा साथी मिलता है नसीबों से,
कैसे मैं तेरे साथ की उम्मीद करता हूँ |

अब तो कम हो चली जो साँसे हैं जो मेरे हिस्से,
मैं तो बस तेरे जवाब का इन्तेज़ार करता हूँ |

तू खुश रहे हमेशा दुआ है खुदा से,
तेरे दामन में निकले दम, मैं कहाँ ये चाहता हूँ |

1 comments :

Anonymous said...

मैंने दिल से चाहा,मोहब्बत की तुझसे
मानता हूँ तुझको जिंदगानी मैं

उसके हर दर्द अपने से लगते है
जैसे रगों में उसके दौड़ती रवानी मैं

आज तलक बसी है उसकी यादें यूँ
जैसे उसके बचपन की कोई कहानी मैं

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