Saturday, March 13, 2010

चलो अब ना ही सही


जिस राह पे हम चल पड़े, ना गलत, वो ना ही सही,
उस रहगुजर पर कोई मोड़ नहीं, ना ही सही |

तुम और मैं राधा कृष्ण ही सही,
प्यार था, पर मिल ना सके, अब ना ही सही |

सौ फरियादें मांगी हमने सावन की,
एक बूँद ना पड़ी, बारिश की, चलो को बात नहीं |

कोशिश तो बहुत की, तुमको यकीन दिला सकें,
पर ना आया तुमको एतबार, चलो ना ही सही |

तेरा इंतेज़ार बरसों किया, ज़िंदा रखा तेरी मोहब्बत ने,
मौत ने यूँ गले लगाना ही था, चलो अब यही सही |

तूने रखा ख्याल मेरा इतना, दोस्त समझा मुझे,
कोई शिकायत नहीं है, तुमने समझा है सही |

ना जाने खुदा क्यों नहीं मोड़े मेरे रास्ते तेरी ओर पहले,
उसने भी तो तेरे मेरे साथ ज़्यादती बहुत की |

खोने के बाद तेरा प्यार, अब क्या बचा मेरे पास
ले जा दुआएं मेरी, इसके अलावा अब बचा कुछ नहीं |

ना जाने कैसी गुज़रेगी अब ज़िंदगानी मेरी,
तेरे अलावा ज़ीने का मक़सद कोई ख़ास नहीं |

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