माना की ज़िंदगी में गमों का साया है,
हर घड़ी हर वक़्त नया तूफान आया है,
पर हर तूफान के बाद,
मैने खुद को निखरा पाया है |
ऐसा नहीं है की दर्द नहीं हुआ मुझे,
हर कदम मुश्किलों ने बहुत रगड़ा है मुझे,
पर हर मुश्किल के बाद,
मैने खुद को बेहतर इंसान पाया है |
जब भी पड़ती थी वक़्त की मार,
दिल में मैने यही दोहराया है,
वो पत्थर क्या सुंदर मूरत बन पाया है,
जो हथोड़े और छैनी से घबराया है |
4 comments :
ऐसा नहीं है की दर्द नहीं हुआ मुझे,
हर कदम मुश्किलों ने बहुत रगड़ा है मुझे,
पर हर मुश्किल के बाद,
मैने खुद को बेहतर इंसान पाया है |
bahut khoob ........behtar !!!
bahut sahi alok..!
gr8 yaar... maza aa gaya padh ke..
Thanks Doston
Post a Comment