जीते हम सब यहाँ एक जिंदगी,
सबको यहाँ एक साथ चाहिए|
माना अकेले आये थे, अकेले जायेगें,
पर बीच के वक्त, एक हमदम चाहिए |
सुना है हर सहारे को भी एक सहारा चाहिए,
बहता दरिया हूँ मैं, मुझे भी किनारा चाहिए |
कर सकूँ जिससे प्यार की दो बात,
वो यार, वो प्यार चाहिए |
वो कहते है, वो रह लेगें अकेले,
पर उनके अकेलेपन को, उनकी मंज़िल का पता चाहिए |
माना उन्हें नहीं है सहारे की ज़रूरत,
उन्हें ज़िंदगी बस,किसी की यादों के सहारे चाहिए |
मैं हूँ यहाँ तन्हा,गुमसुम अकेला,
मुझे कुछ सवालों के जवाब चाहिए |
अब कैसे पूछूँ उनसे, जब वो सुने ही ना,
उन्हें ना मेरी आवाज़, ना मेरा नज़ारा चाहिए |
मैं टूटा हूँ बहुत, उनकी मोहब्बत ने फिर जान डाल दी,
मिली जब ज़िंदगी वापस,मुझे उनका एहसान मानना चाहिए |
वो कहते हैं हमसे, क्या आज तक तुम जीते नहीं आए,
सिर्फ़ साँस लेना जीना नहीं, जीने का इक बहाना चाहिए |
तेरे बिना अब तक जिया हूँ मैं,
इस तन्हा इंसान, को तेरा प्यार चाहिए |
अब तो आजा ओ जालिम, ज़िंदगी में वापस,
तेरी आँखों में मुझे, अपना नज़ारा चाहिए |
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