Tuesday, February 23, 2010

कुछ दिल ने कहा


तेरी आँखें इस दिल को धड़का देतीं है,
तेरी तरफ आई हवा, ये समाँ महका देतीं है |

बिताए हमने सिर्फ कुछ पल साथ थे,
बीते वक़्त की बातें चहरे पर हंसी ला देतीं है |

आज तू साथ नहीं, तो क्या हुआ,
तेरी यादें तो मेरा साथ देतीं हैं |

क्या हम कहें ज़माने से, के कौन हो तुम,
मेरी साँसें, तुमको ज़िंदगी का नाम देतीं हैं |

महफिलें तो बेरंग ही होतीं हैं यहाँ,
तेरे होने का ख़्याल, उनमें रौनकें ला देतीं है |

इंतेज़ार पता नहीं क्या रंग लाएगा,
पर तेरी यादें, हमें हँसना सीखा देतीं है |

जीते हैं लोग जन्नत की तमन्ना लेकर,
तेरी तम्मानायें मुझे जीना सीखा देतीं है |

2 comments :

Misunderstood Genius said...

subhan allah!!!

Unknown said...

Dost..U have touched my heart. The words I feel resembles to my story.

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