Saturday, February 27, 2010

तन्हा रास्ते


रफ़्ता रफ़्ता वक़्त गुजरता जा रहा है,
वो तन्हा इन रास्तों पर चला जा रहा है |

दिल में कुछ यादें और यादों के मंज़र ,
उनमें रहता बस उन्हीं को जीता जा रहा है |

वो जानशीं ही थी उसको सबसे अज़ीज़,
उसी का खवाबों में दीदार किया जा रहा है |

जब भी पूछता है उससे कोई,
बस उसका नाम सबको बताता जा रहा है |

हंसते हैं लोग, जब वो गुजरता है गलियों से,
कहते हैं वो देखो एक और दीवाना जा रहा है |

हमने भी जब देखा उसे, दिल में सोचा,
दीवाना बिन बोले दीवानों की हालत बता रहा है |

जीने के लिए हर साँस ले रहा है वो,
पर ना क्यों हर बार बेज़ान होता जा रहा है |

धीरे धीरे बीत रहे हैं ये लम्हे,
जी रहा है ज़िंदगी या मौत के करीब जा रहा है |

जानते है कि गम ही मिलते हैं इश्क़ में,
फिर भी ये ज़माना, क्यों दीवाना होता जा रहा है|

1 comments :

Fusion said...

Holi ke din kaisi neras kavita likhi hai!

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