Sunday, June 27, 2010

जी चाहता है

सादगी पर तेरी, मर जाने को जी चाहता है,
बातों से तेरी जी, जाने को जी चाहता है,
मोहब्बत ऐसी ही राज़दार होती है, दोस्तों,
हर किसी का ये, राज़ जानने को जी चाहता है |

तेरे आंसूं मैं ले लूं अपनी पलकों पर,
सिर्फ हंसी छोड़ दूँ, तेरे दामन में,
किसी की मोहब्बत होना, है खुशनसीबी,
तू खुश रहे, तुझे खुश देखने का जी चाहता है |

तेरी खुशियों की फिकर है इतनी,
कि तेरे हर गम से खफा हूँ मैं,
ना तकलीफ दे तुझे कभी ये ज़माना,
तेरे ख़ातिर ज़माने से लड़ जाने को जी चाहता है |

मेरी बातें तुमको लगती हैं सपना,
हाल मेरा तुझ जैसा ही, ना मिला कोई अपना,
जब मिला है तेरे चहरे में जीने का सबब,
तेरी खातिर ये जिंदगी जीने को जी चाहता है |

साथ रहें हम, हों हाथों में हाथ,
बाँट ले गम अपने, रहे खुशियों के साथ,
ऐसे हैं कुछ नायाब खवाब आँखों में मेरी,
कभी हों सच ये खवाब भी, ऐसा मेरा जी चाहता है |

2 comments :

Atul said...

Good one again...

sanjeev kumar said...

ना कह गयी ना सुन गयी, बस चली गयी
मैं क्या कह के बुलाता की, फलानी कहा गयी.

(फलानी- जिसका नाम नही मालूम)

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