Saturday, June 19, 2010

कितनी भी करो मोहब्बत कम लगे ...

यूँ तो अब शहद भी मीठा ना लगे,
महक गुलाबों की, खुशबू ना लगे |

जीयो तुम जानेमन जी भर के,
एक जिंदगी कम होगी,तुमको मेरी उम्र लगे |

हसरतें पूरी होंगीं सारी तेरी,
चाहे तुझे अभी अपनी, खुशियाँ कम लगे |

दुआओं से घर भर चला खुदा का,
पर मेरे को दुआओं की तादाद अब भी कम लगे |

तुझसे दिल जुडने के बाद ये आलम है,
तेरे खुशी आगे मुझे दुनिया की हर खुशी छोटी लगे |

डरता था हमेशा इश्क करने से, कतराता था मैं,
जिंदगी के इस मोड़ पर, तुझसे इश्क होता लगे |

जाने आलम कैसे बदल गया सारा,
अब इस फिज़ा में भी प्यार घुलता हुआ लगे |

क्या फरक है, तुझे से दूर या पास हूँ मैं,
मुझे तो दिल में धड़कती धड़कन तू लगे |

जिसकी चाहत है दिल को हमेशा,
तेरा चेहरा ही, वो हमराज़ वो हमदम लगे |

तू भी तो था इस अनजानी भीड़ में एक चेहरा,
तेरे को देख दिल पूछा, ये मुझे क्यों अपना लगे |

लगते थे मुझे अपने गम ज्यादा,
तेरे देखे तो अपने गम और दर्द कम लगे |

तू इस तरह से अब मेरी जिंदगी में शामिल है,
तेरी सारी उम्मीदें, तेरे सारे सपने अपने लगे |

इतनी मोहब्बत तो तू करती है मुझसे,
फिर भी इस दीवाने दिल को तेरी चाहत कम लगे |

कुछ इस तरह छुपा लूं मैं तुमको अपनी आँखों में,
मेरी दोस्त,तुमको किसी की नज़र ना लगे |

2 comments :

Sandesh Dixit said...

एक जिंदगी कम होगी,तुमको मेरी उम्र लगे

maar dala ...bhavo se bhari ,bt again there r few things which v suld b taken itno consideration :) v wl discuss it ....for nw,here is sum prob

इतनी मोहब्बत तो तू करती है मुझसे,
फिर भी इस दीवाने दिल को तेरी चाहत कम लगे

this has totally diff emotions,not fit in this gazal/poem.

sanjeev kumar said...

ek bose(kiss) ke liye kyun aapne takarar ki,
Kya koi jaagir humane chhin li sarkar ki.

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