बहुत रोये हैं, अब तो कोई हँसने के बहाने दे दे,
खुदा कोई जीने की नहीं तो, मरने की वजह दे दे |
उनके गम का सबब तो बता दिया तूने,
अब उसको मिटाने का कोई तो इल्म दे दे |
वो कहते हैं हमसे कि, मत करो इन्तेज़ार मेरा,
कैसे कहें उससे की वो, उन्हें भूलने की वजह दे दे |
अकेले जीते हुए खुदा, तूने कोई खुशी नहीं दी,
उनको खुशियों से मिला दें, ऐसी कोई रहगुजर दे दे |
उनका यार खफ़ा है उनसे, वो माना ले उसे,
ऐ खुदा, उनको इश्क में डूबा कोई 'नूर' दे दे
सच है बहुत जला हूँ, हिज्र की आग मे अब तक,
उसको वसले-यार और मुझे कुछ कतरा-ऐ-शबनम दे दे |
[इल्म = ज्ञान ]
[हिज्र = जुदाई ]
[वसले-यार = प्रेमी से मिलन]
खुदा कोई जीने की नहीं तो, मरने की वजह दे दे |
उनके गम का सबब तो बता दिया तूने,
अब उसको मिटाने का कोई तो इल्म दे दे |
वो कहते हैं हमसे कि, मत करो इन्तेज़ार मेरा,
कैसे कहें उससे की वो, उन्हें भूलने की वजह दे दे |
अकेले जीते हुए खुदा, तूने कोई खुशी नहीं दी,
उनको खुशियों से मिला दें, ऐसी कोई रहगुजर दे दे |
उनका यार खफ़ा है उनसे, वो माना ले उसे,
ऐ खुदा, उनको इश्क में डूबा कोई 'नूर' दे दे
सच है बहुत जला हूँ, हिज्र की आग मे अब तक,
उसको वसले-यार और मुझे कुछ कतरा-ऐ-शबनम दे दे |
[इल्म = ज्ञान ]
[हिज्र = जुदाई ]
[वसले-यार = प्रेमी से मिलन]
1 comments :
bahut achche bhav.....par gazal se koso door !!!!Atleast follow one rule ....
You first start writing in poem style....sach kehta hu agar ye kavita hoti to kafi achchi hoti !!!!
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