जिंदगी यूँ ही चल रही है,
ना चैन ना ही आराम है |
बरस रहे हैं बेशुमार वक़्त के अंगारे,
जल रहा है दिल, जाने कहाँ शीतलता है |
रोता है दिल ही दिल में ही,
यारों के संग सिर्फ चेहरा ही हँसता है |
दिल छलनी है, ज़ख़्मी है इसका ,
इसको यूँ शब्दों के शर लगे हैं |
बस उसी से है जान पहचान,
खुद से तो ये कब का अनजान है |
दर्द इसको कहाँ होते हैं अपने,
किसी का गम इसको ग़मगीन करता है |
कहा था 'नूर' ना करना इश्क कभी,
दूसरे का दर्द इसमें अपना होता है |
ना चैन ना ही आराम है |
बरस रहे हैं बेशुमार वक़्त के अंगारे,
जल रहा है दिल, जाने कहाँ शीतलता है |
रोता है दिल ही दिल में ही,
यारों के संग सिर्फ चेहरा ही हँसता है |
दिल छलनी है, ज़ख़्मी है इसका ,
इसको यूँ शब्दों के शर लगे हैं |
बस उसी से है जान पहचान,
खुद से तो ये कब का अनजान है |
दर्द इसको कहाँ होते हैं अपने,
किसी का गम इसको ग़मगीन करता है |
कहा था 'नूर' ना करना इश्क कभी,
दूसरे का दर्द इसमें अपना होता है |
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