कभी तो वो मुझे भी सुने,
जब कहूँ उससे कुछ, कभी तो वो हँसे |
यूँ अलग थलग सी जी रहे हैं जिंदगी,
साथ दें एक दूसरे का,कभी तो हम मिल कर जियें |
टुकड़े टुकड़े बहुत हुआ दोनों का दिल,
उन टुकडों को जोड़ कर, कभी तो दिल की बात करें |
चल रहे हैं जिंदगी की डगर,
तनहा तनहा है दोनों, कभी तो साथ मिल कर चलें |
मेरी खामोशी ही बोलती रही हमेशा,
कभी तो लफ्ज़ मेरे, मेरे दिल का हाल बयान करें |
मुझे तेरी, तुझे उसको आरज़ू बहुत है,
आरज़ू से निकलें, कभी तो खुद की सुना करें |
हंसी जो सजी है होठों पे, ऐ 'नूर',
वो झूठी है, कभी तो आँसूं निकले और ये बयाँ करें |
जब कहूँ उससे कुछ, कभी तो वो हँसे |
यूँ अलग थलग सी जी रहे हैं जिंदगी,
साथ दें एक दूसरे का,कभी तो हम मिल कर जियें |
टुकड़े टुकड़े बहुत हुआ दोनों का दिल,
उन टुकडों को जोड़ कर, कभी तो दिल की बात करें |
चल रहे हैं जिंदगी की डगर,
तनहा तनहा है दोनों, कभी तो साथ मिल कर चलें |
मेरी खामोशी ही बोलती रही हमेशा,
कभी तो लफ्ज़ मेरे, मेरे दिल का हाल बयान करें |
मुझे तेरी, तुझे उसको आरज़ू बहुत है,
आरज़ू से निकलें, कभी तो खुद की सुना करें |
हंसी जो सजी है होठों पे, ऐ 'नूर',
वो झूठी है, कभी तो आँसूं निकले और ये बयाँ करें |
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