Thursday, April 21, 2011

नेता जी खुशी सेखाओ जी के बोल वचन


भ्रष्टाचार की राह पे ईमान से बढ़ता चला गया
हर कफ़नो ताबूत को नीलाम करता चला गया

पहले बेचा मैंने अपने ईमानो रूह को यारों,
बाद में बड़े आराम से मैं देश बेचता चला गया

तुम भेड़ बकरियां हो चर लो जो सूखी घास है
मैं ये करोड़ों का लज़ीज़ चारा खाता चला गया

मुझको क्या इस देश और इसकी सुरक्षा से
मैं तोपों खरीद में अपनी दलाली लेता चला गया

मिग चाहे आकाश में फटे या धरती में अटे
पुराने पुर्जों का दोष पायलटों पे मढ़ता चला गया

मुझे क्या फर्क जो सूनी होती कोख और माँगें
मैं बस पैसों की भूख से आबाद होता चला गया

राज किया है मैंने राजा बन कर इस लोकशाही में
वादे दारु की बोतलें मेरा वोट बैंक बढ़ता चला गया

शत धन्यवाद देता हूँ स्वतंत्रतता सेनानियों को
उनके कारण मिला मौका मैं फायदा लेता चला गया

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