तूने मुझे अपना माना हो या ना माना हो,
दिल के करीब चाहे मेरी कोई जगह ना हो |
हैं चाहे मेरी हर आहट अब भी पराई,
मेरी हर कोशिश में मतलब दिखता हो |
ना जाने कैसे समझा पायेगें हम उसको,
जब वो हर बात से कुछ अन्जाना सा हो |
तुमसे इतना इश्क है,कैसे भूलें तुमको,
जब तुमको भूलना जिंदगी भूलने जैसा हो |
कोशिश है बस इतनी,मेरा प्यार,ये इश्क,
तेरे दिल के ज़ख्मों पर मरहम जैसा हो |
ना गिराना कभी इन आँखों से आंसूं,
बहुत दर्द देते हैं, जैसे कोई नश्तर सा हो |
तेरी सलामती की दुआ करता है 'नूर' हमेशा,
क्या फरक,चाहे खुद का जीवन दोज़ख जैसा हो |
दोज़ख = Hell
दिल के करीब चाहे मेरी कोई जगह ना हो |
हैं चाहे मेरी हर आहट अब भी पराई,
मेरी हर कोशिश में मतलब दिखता हो |
ना जाने कैसे समझा पायेगें हम उसको,
जब वो हर बात से कुछ अन्जाना सा हो |
तुमसे इतना इश्क है,कैसे भूलें तुमको,
जब तुमको भूलना जिंदगी भूलने जैसा हो |
कोशिश है बस इतनी,मेरा प्यार,ये इश्क,
तेरे दिल के ज़ख्मों पर मरहम जैसा हो |
ना गिराना कभी इन आँखों से आंसूं,
बहुत दर्द देते हैं, जैसे कोई नश्तर सा हो |
तेरी सलामती की दुआ करता है 'नूर' हमेशा,
क्या फरक,चाहे खुद का जीवन दोज़ख जैसा हो |
दोज़ख = Hell
2 comments :
ना गिराना कभी इन आँखों से आंसूं,
बहुत दर्द देते हैं, जैसे कोई नश्तर सा हो |
bahut achcha likhne lage ho .....pehle sher mein 'na ho' fir waki mein change ho raha hai ...technically thodi gadbad lekin fir bhi bahut achchi hai ...
Good one Buddy !!! ,Accha lika
Bahut Jaldi seekh rahe hoo tum mujhse - Jaldi hii mere Mukham pe pohach jaaoge tum ;-)
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