Its Mothers day today. And its Mom. I am missing a lot. Being so much away from my family. On this day I am missing every one. I always thought that why we are celebrating these days. Whats there to celebrate. But believe, it is worth celebrating, and 'em how much love we do. I am so much away from my family and I am missing that a lot. While writing this I was in public park. could not stop myself being emotional. Its true that my eyes were filled with tears, but nothing rolled off from my eye : my latest practice :) Thanks to you ;)
I miss all my family. I love them, with all of my heart.
_____ अब जाने कहाँ !______
चाहे कद बहुत ऊँचे हो गए हों हमारे,
पर बाबा, तुम्हारे कन्धों की ऊँचाई अब जाने कहाँ |
चाहे एसी कूलर के झोंकों में रहते हों,
पर माँ, तेरे आँचल की शीतलता अब जाने कहाँ |
सोते हैं चाहे हम नरम-नरम बिस्तरों पर,
पर माँ, तेरी गोद में आने वाली नींद अब जाने कहाँ |
लड़ते हैं, अपने अस्तित्व की ख़ातिर दुनिया से,
पर भाई, तेरी वो प्यार वाली लड़ाई अब जाने कहाँ |
रूठ जाती है दुनिया मुझसे, काम ना आने पर,
पर बहना, रूठने में तेरे जैसी निस्वार्थता अब जाने कहाँ |
खो गया है वक्त की गलियों में बचपन कहीं,
वो बचपन के स्वछंद और उन्मुक्त सपने, अब जाने कहाँ |
I miss all my family. I love them, with all of my heart.
_____ अब जाने कहाँ !______
चाहे कद बहुत ऊँचे हो गए हों हमारे,
पर बाबा, तुम्हारे कन्धों की ऊँचाई अब जाने कहाँ |
चाहे एसी कूलर के झोंकों में रहते हों,
पर माँ, तेरे आँचल की शीतलता अब जाने कहाँ |
सोते हैं चाहे हम नरम-नरम बिस्तरों पर,
पर माँ, तेरी गोद में आने वाली नींद अब जाने कहाँ |
लड़ते हैं, अपने अस्तित्व की ख़ातिर दुनिया से,
पर भाई, तेरी वो प्यार वाली लड़ाई अब जाने कहाँ |
रूठ जाती है दुनिया मुझसे, काम ना आने पर,
पर बहना, रूठने में तेरे जैसी निस्वार्थता अब जाने कहाँ |
खो गया है वक्त की गलियों में बचपन कहीं,
वो बचपन के स्वछंद और उन्मुक्त सपने, अब जाने कहाँ |
2 comments :
great work dude...
Deepak "Raj"
It's really nice buddy... bit emotional now, after reading this....
Sid...
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