भ्रष्टाचार की राह पे ईमान से बढ़ता चला गया
हर कफ़नो ताबूत को नीलाम करता चला गया
पहले बेचा मैंने अपने ईमानो रूह को यारों,
बाद में बड़े आराम से मैं देश बेचता चला गया
तुम भेड़ बकरियां हो चर लो जो सूखी घास है
मैं ये करोड़ों का लज़ीज़ चारा खाता चला गया
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Akki
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11:45 PM
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