समंदर की ताज तुम लहरें, कैसे तुम्हारा नसीब ना होगा
तैरोगी सरहदे समंदर, साहिल पे आके तुमको टूटना होगा |
मुझे दर्द ओ गम है, डर है तुमसे जुदाई का
डरता ना हो, ऐसा इस जहान में कोई इंसान ना होगा |
यूँ तो दिखलाता है बखूबी, कि तू पत्थर दिल है,
माने गर तेरी बात, सीने में धड़कन जैसा कुछ ना होगा |
पर उसमें भी है धड़कन, जो दिल तेरे सीने में हैं,
अब ज़ज्बात भरे हों जिसमें बेंतेहाँ, वो पत्थर ना होगा |