अब्र के साये में रह मैं बूंदों को तरसता हूँ
बेखबर दरिया पे बरसते बादल को देखता हूँ
खवाबों में उस हसीन के खवाब देखता हूँ ,
गुजरते पलों से दिली उम्मीदों को बुनता हूँ
Saturday, July 9, 2011
कुछ ख्वाब बुनता हूँ
3 commentsWritten by Akki at 11:45 PM
Labels: distant love , kavita , light-mood , loneliness , love , platonic love , Separation , stubborn , well wishes , words2you