मेरे सामने हमेशा रास्ता-ऐ-उल्फत रहा
शूल काँटें मेरी आहें अब और ना सता
गर जिल्लत ही देनी है मौला तो दे दे
रहम कर इज्जत के अलफ़ाज़ ना सुना
मौत ही बक्शी है जो तूने दर्दनाक तो
बहारे जिंदगी की झूठी राहें ना दिखा
मेरे सामने हमेशा रास्ता-ऐ-उल्फत रहा
Written by Akki at 11:45 PM
Labels: courage , distant love , gazal , hope , loneliness , love , pain , platonic love , poem , Separation
Written by Akki at 11:45 PM
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